फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। ’तुम्हारी नजरों का दोष हम मिटाएंगे, समाज को बांटे तो पुल हम बनाएंगे, आ जाओ एक बार सहजेरपुर तो सुधर जाएगी तेरी आंखों के नूर’। जी हां, कुछ ऐसा ही दिखता है सहजेरपुर की रामलीला में। सात वर्ष पहले तक रावण की भूमिका निभाने वाले अहद अंसारी अब गुरु वशिष्ठ की भूमिका में नजर आते हैं। कारण कि सात साल पहले वह लकवा के शिकार हो गए और रावण की तरह से अट्टाहस नहीं कर पा रहे थे। सहजेरपुर गांव की रामलीला की शुरुआत अहद अंसारी और कुद्दु मौर्य ने 2002 में की थी। तभी से क्षेत्र के लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि वाकई यह हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है। वैसे ग्रामीणों के अनुसार हर त्योहार दोनों संप्रदाय के लोग मिलकर मनाते हैं। रामलीला में सभी किरदारों को सजाने का कार्य रामलीला समिति के डायरेक्टर दयाराम यादव करते हैं।
इनसेट–वशिष्ठ चलाते हैं परचून की दुकान
फूलपुर। अहद अंसारी घर पर ही रहकर टाफी और परचून की दुकान चलाते हैं। 65 साल से अधिक की उम्र के बाद भी वह रामलीला में रोल करने से हिम्मत नहीं हारते हैं। उनका कहना है कि हमें एकता प्यारी है। जिस गांव में एकता है उस गांव में सबकुछ है। हमारे गांव ने हमेशा मुहब्बत का पैगाम दिया है। समिति के अध्यक्ष रमेश विश्वकर्मा ने बताया कि इस वर्ष की रामलीला 20 अक्टूबर से शुरू होगी। गांव में रामलीला के बाद 27 अक्टूबर को मेले का आयोजन किया जाएगा।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय