जलवायु परिवर्तन से धरती और जल को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान : कृषि मंत्री

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कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताए आधुनिक खेती के तरीके

वाराणसी। यूपी में खेती-बाड़ी काफी चैलेंजिंग हो गई है। जीवन का अस्तित्व पांच तत्वों क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा से ही है। आज जलवायु परिवर्तन की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान धरती और जल को ही हुआ है। क्रॉप पैटर्न में हमने धान, गेहूं और गन्ना अपना लिया। ये सबसे ज्यादा पानी सोखने वाले फसल हैं। 10-15 साल से लगातार हम इन फसलों को लगा रहे हैं। इसकी वजह से धरती का जलस्तर घट गया। उक्त बातें प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बीएचयू में आज तीन दिनी सम्मेलन ‘सुफलाम’ इंटरनेशनल कांफ्रेंस और प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान देश भर के कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

वैज्ञानिकों को किया सम्बोधित

उन्होंने कहा कि पानी के अब बारी आती है केमिकल फर्टिलाइजर की। जिसकी वजह से पूरी-की-पूरी मिट्टी ही खेती लायक नहीं बची। पहले सपा के कार्यकाल में मुलायम सिंह यादव ने फर्टिलाइजर पर टैक्स लगा रखा था। हम आए सरकार में और 350 करोड़ का टैक्स माफ कर दिया। उसके बाद देखा गया कि यूरिया की खपत 2 लाख टन बढ़ गई। जब मिट्टी की जांच की गई तो पता चला कि हमारी मिट्टी काफी प्रदूषित हो चुकी है। बताया कि खेती के लिए मिट्टी में जैविक कार्बन का मान 0.808% से 0.5% तक होना चाहिए। मगर, हमारे यहां की मिट्टी में जैविक कार्बन की वैल्यू 28 से लेकर 3% तक आ गई। सरकार विदेशों से 3.50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा डीएपी (उर्वरकों) आयात करने में खर्च कर रही है। हम इसे 3600 रुपए प्रति टन मंगा रहे, मगर महज 1300 रुपए प्रति टन बेच रहे। दाल 25 हजार करोड़ का आयात कर रहे। खाने का तेल 1.25 लाख करोड़ का आयात हो रहा है। देश को केमिकल फर्टिलाइजर से काफी क्षति हो रही है। हम ज्यादा लाभ लेने के चक्कर में खुद की मिट्टी को तबाह कर रहे हैं।

जैव उर्वरकों की ओर ध्यान देना चाहिए : कृषि मंत्री

कृषि मंत्री ने कहा कि हमारा क्षेत्र ही अच्छा नहीं होगा तो कैसे उपज अच्छी मिलेगी। जैव उर्वरकों की ओर ध्यान देना चाहिए। 17वीं शताब्दी में हमारा देश कृषि में संपन्न था। राज्य सरकार ने बुंदेलखंड के 47 खंडों में प्राकृतिक खेती को शुरू कर रही है। पंचगब्य से खेती चल रही है। मिलेट्स पर भी काम चल रहा है। अभियान चलाकर दलहन और तिलहन की खेती शुरू कर रहे हैं। नाइट्रोजन की मात्रा मिट्टी में बढ़ेगी। कहा कि विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय ने पंचतत्वों के ही आधार पर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। उन्होंने यह टारगेट रखा है कि एक छात्र पर 5 पेड़ लगाएंगे, इनमें से तीन पूरा कर दिया है।

देश भर के 300 से ज्यादा कृषि वैज्ञानिक हैं मौजूद

उल्लेखनीय है कि 7-9 जनवरी तक यह कार्यक्रम स्वतंत्रता भवन और कृषि विज्ञान संस्थान के शताब्दी सभागार में होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। वहीं, उनके साथ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, सुरेश जोशी (भैय्या जी), यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और जगद्गुरु संत ज्ञानेश्वर दास जी महराज भी संबोधन देंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन दोपहर 2.30 बजे से 4 बजे तक चलेगा। सुफलाम कार्यक्रम के सचिव बीएचयू के कृषि अर्थशास्त्री प्रो. राकेश सिंह और कार्यक्रम के कोआर्डिनेटर प्रो. एनसी गौतम समेत देश भर के 300 से ज्यादा कृषि वैज्ञानिक मौजूद हैं।

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