समय के साथ अस्तित्वविहीन हो गया कृषि उपसंभागीय केंद्र

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फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। तहसील मुख्यालय से पांच किमी दूर मुस्तफाबाद गांव में स्थापित कृषि उपसंभागीय केंद्र समय के साथ अस्तित्व विहीन हो गया। इससे किसानों को मृदा परीक्षण के लिए भी कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा जाना पड़ता है। केंद्र की स्थापना 80 के दशक में की गई थी। स्थापना के कुछ दिनों बाद से ही यह केंद्र अपने उद्देश्यों से भटक गया। अब यह केंद्र किसानों को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है। विशालकाय भवन निर्माण में लाखों रुपये खर्च हुए। केंद्र कार्यालय के अलावा मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, गोदाम, आवासीय सुविधा, हाल आदि का भव्य निर्माण हुआ। कृषि क्षेत्र को विकसित करते हुए किसानों को खेती की नई तकनीकी जानकारी देने में यह केंद्र 90 के दशक तक खरा उतरा। उसके बाद केंद्र की बदहाली शुरू हुई तो आज तक थमने का नाम नहीं ले रही है। आलम यह कि उपसंभागीय कृषि प्रसार केंद्र पर हमेशा ताला लटका रहता है। अब तो किसान केंद्र को भूल ही गए हैं। इसका मुख्य कारण केंद्र पर किसी भी अधिकारी का न मिलना बताया जा रहा है। भवन के खिड़की-दरवाजे आदि चोरों की भेंट चढ़ गए हैं। केंद्र की स्थापना का मुख्य उद्देश्य तकनीकी खेती के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने का था। क्षेत्र के चंद्रभान यादव, कृष्ण कुमार यादव, जैल सिंह, रविंद्र यादव, अरुण यादव, उदयभान यादव, सियाराम आदि का कहना है कि अब यहां पर कोई विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी दिखाई नहीं देता। उपनिदेशक कृषि मुकेश कुमार ने बताया कि मृदा परीक्षण का कार्य कोटवा में है। क्षेत्रीय कर्मचारी गांवांे से मृदा परीक्षण के लिए ले आते हैं। जांच के बाद पुनः उन्ही क्षेत्रीय कृषि कर्मचारियों द्वारा रिपोर्ट पहुंचा दी जाती है।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय

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