बोले- जूठे पत्तल उठाने वाले नेता का कोई ईमान-धर्म नहीं होता
वाराणसी। आज काशी विश्वनाथ परिसर माँ शृंगार गौरी पूजा मंत्रोच्चारण से गूँज उठा। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी के पश्चिमी दीवार पर माँ शृंगार गौरी के विग्रह पत्थरों का पूजन-अर्चन विधि-विधान से किया। तत्पश्चात ज्ञानवापी के वजूखाने की ओर मुख किए नंदी महाराज का भी जलाभिषेक किया। मंदिर में दर्शन के बाद जीतेंद्रानंद सरस्वती ने श्रीराम कथा की शुरुआत की। इससे पहले मीडिया से बात करते हुए उन्होंने श्रीरामचरित मानस पर विवादित बयानबाजी करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या को आड़े हाथ लिया। माँ शृंगार गौरी के विग्रहों की पूजा के दौरान जीतेंद्रानंद सरस्वती के साथ बड़ी संख्या में पुजारी भी मौजूद रहे। परंपरा के अनुसार, हर साल माघ मास की सप्तमी को यह पूजा की जाती है।
भारी फोर्स भी रही तैनात
स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा कि कल तक स्वामी प्रसाद मौर्या जूठे पत्तल योगी आदित्यनाथ के चरणों में पा जाते थे। इसके बाद उसी जूठे पत्तल के लिए अखिलेश यादव के पास गए। जबकि, इससे पहले वे वही जूठे पत्तल मायावती के लिए उठाते थे। ऐसे लोगों का कोई ईमान-धर्म नहीं होता। एक बनारसी कहावत है कि कोढ़िया डेरवारे देहिया पर थूक देब… ऐसे डराने और थूकने वालों से फर्क नहीं पड़ता। जो खुद का विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकता, उसे हम नेता कैसे मानें।
15 मिनट तक चला पूजन
स्वामी जीतेंद्रानंद ने माँ शृंगार गौरी और उपेक्षारत नंदी की पूजा के बाद राम कथा का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि रामकथा से पहले माता के पूजन की परंपरा चली आ रही है। हर साल दो बार हम लोग पूजा करते हैं। एक माघ मास की सप्तमी को और दूसरा चैत्र नवरात्र के चौथे दिन ही मंदिर में दर्शन होते हैं। नवरात्र में माँ का मुखौटा लगाया जाता है और सुबह पाँच बजे से रात 11 बजे तक लोग ज्ञानवापी परिसर में आकर माँ शृंगार गौरी के दर्शन करते हैं। करीब 15 मिनट की विधिवत पूजा के दौरान शृंगार गौरी मंदिर के टूटे प्राचीन पत्थरों को सिंदूर-चंदन लगाया गया। मंत्र पढ़कर माँ की बाकायदा आराधना की गई। वहीं, सुरक्षा के लिए भारी पुलिस फोर्स मंदिर परिसर में तैनात की गई थी। जीतेंद्रानंद ने माँ शृंगार गौरी के साथ ही ज्ञानवापी की ओर मुख किए बड़े नंदी महाराज को भी जल चढ़ाकर पूजा की।
नित्य दर्शन को लेकर यह चल रहा है मामला
उल्लेखनीय है कि पांच हिंदू महिलाओं (राखी सिंह, सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक) ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी थी। इन महिलाओं ने खासतौर पर शृंगार गौरी की हर दिन पूजा करने की इजाजत चाही थी। कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वे भी किया गया था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग मौजूद है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था। 18 अगस्त, 2021 को पाँचों महिलाएं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में माँ शृंगार गौरी, गणेशजी, हनुमानजी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की इजाजत मांगते हुए कोर्ट पहुंची थीं। अभी यहां साल में एक बार ही पूजा होती है। 26 अप्रैल, 2022 को वाराणसी सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सत्यापन के लिए वीडियोग्राफी और सर्वे का आदेश दिया था।