सीता के गले में हार के बाद खिचड़ी के वक्त राम को मिला उपहार

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अहरौला क्षेत्र में दुर्वासा महामंडलेश्वर ब्रह्मलीन संत श्री 1008 मौनी बाबा के गहजी महिपालपुर स्थित राम-जानकी आश्रम पर तीन दिवसीय राम विवाहोत्सव के क्रम में अंतिम दिन राम-सीता विवाह के उपरांत चारों भाइयों ने खिचड़ी खाई, तो जनकपुर के लोगों ने उपहार देकर विदाई की। आश्रम के साधु-संतो ने पुष्प वर्षा कर मंगलगीत के साथ सभी का स्वागत किया। जनकपुर के पुरोहित बने सीताराम तिवारी ने मंत्रोच्चार के साथ वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न कराया। प्रभु श्रीराम के खिचड़ी खाने के बाद सभी को प्रसाद स्वरूप खिचड़ी का प्रसाद वितरण किया गया, जो देर रात तक चलता रहा।
बाल संत शुभमदास ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि राम-सीता विवाह का मठ मंदिरों पर विशेष महत्व है। राम विवाहोत्सव को देखने सुनने से कष्ट दूर होते हैं। राम नाम सुमिरन से मनुष्य भव सिंधु रूपी संसार से मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। रामचरित मानस हमें संबंधों के निर्वहन की सीख देता है। वनवास के समय श्रीराम, माता कौशल्या से कहते हैं कि मैं बहुत खुश हूं। यह आदर्श, समर्पण, मर्यादा, सेवा, संकल्प हमें रामचरित मानस से सीखना चाहिए।
इस मौके पर आश्रम के महंता 108 हरिप्रसाद दास, बाल संत शुभम दास, राजनाथ पांडेय, प्रबंधक पवन चतुर्वेदी, सतेन्द्र चौबे, उपेन्द्र शर्मा आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट-सुबास लाल

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