आजमगढ़। आदर्श अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक, पर्यवेक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक रविवार को कुंवर सिंह उद्यान में हुई। हाई कोर्ट के आदेश पर खुशी जाहिर की गयी।
जिलाध्यक्ष श्री यादव ने बताया कि भारत सरकार की पूर्व में संचालित अनौपचारिक शिक्षा योजना में 1989 से लेकर 2001 तक विभिन्न तिथियों में अनुदेशकों एवं र्प्यवेक्षकों की नियुक्ति करके 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा प्रदान करके उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी थी। जिसका निर्वहन बखूबी किया जाता रहा किन्तु 2001 में योजना समाप्त करके इसी योजना में काम करने वाले कतिपय कर्मचारियों एवं अधिकारियों को शिक्षा विभाग में समायोजित कर दिया गया और अनुदेशकों, पर्यवेक्षकों को सड़क पर फेंक दिया गया। 2005 में शिक्षा मित्र योजना में कुछ अनुदेशकों को भी वरीयता के आधार पर नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद से लेेकर अब तक सरकार एवं न्यायालयों का दरवाजा खटखटा कर अनुदेशक निराश हो चुके थे। किन्तु 21 अप्रैल को उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को स्पष्ट आदेश दिया गया कि अनुदेशकों, पर्यवेक्षकों की दीर्घकालीन सेवा को देखते हुए इन्हें राज्य के किसी भी विभाग में योग्यता एवं पात्रता के अनुसार समायोजित कर नियमित वेतन का भुगतान करें। कोर्ट के इस आदेश से अनुदेशकों, पर्यवेक्षकों में खुशी की लहर है। इस मौके पर अशोक कुमार, मंशा राम, भोला यादव, माता प्रसाद शुक्ला, मोहित राम, सभाजीत, सन्त विजय, कौशल्या देवी, शारदा, शंभूनाथ, राजू गुप्ता आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता जिलाध्यक्ष सारंगधारी यादव तथा संचालन लालसा प्रसाद यादव ने की।