जय भीम-जय भारत-जय संविधान का नारा लगाने वाली एक संस्था ने लिखा आरक्षण का मतलब
भाजपा सरकार की नीतियों को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी विरोध हो रहे हैं। उसका एक कारण यह भी है कि भाजपा ने ही पहली बार अपनी पार्टी का आईटी विभाग बनाया ताकि सोशल मीडिया का उपयोग किया जा सके, चाहे वह खुद की पार्टी ‘बढ़ाई’ हो या विपक्षी पार्टियों की ‘बदनामी’। गूगलकालीन भारत में अब हर राजनीतिक पार्टियाँ सोशल मीडिया का अपने स्तर से प्रयोग कर रहे हैं। इसी कड़ी में कुछ छोटे विपक्षी पार्टियों ने आरक्षण को लेकर सोशल मीडिया पर एक लेख या इसे जानकारी कहे प्रसारित किया है। लिखा गया है- ‘आरक्षण में आपको चावल, गेहूँ, नमक मिल गया और चपरासी, मास्टर, पटवारी आदि में नौकरी लग जाए तो इसे आरक्षण न समझें।
जय भीम-जय भारत-जय संविधान का नारा लगाने वाली एक संस्था ने बताया है कि आरक्षण किसे कहते हैं। संस्था ने कुछ उदाहरण को भी प्रस्तुत किया है। लिखा है-
- जब अपने स्कूल की क्रिकेट टीम में भी चयनित न होने वाले जय शाह को सीधे बीसीसीआई के सचिव बनाते हैं, इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब बिना किसी परीक्षा और इंटरव्यू के सीधा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं रिश्तेदारों के कारण जज नियुक्त होते हैं, उसे कहते हैं आरक्षण।
- जब तमाम स्कूल और कॉलेज खोलने वाले मैनेजर अपने रिश्तेदारों, बहू-बेटों को, बिना किसी योग्यता और पात्रता के आधार पर और सरकारी अनुदान पर नियुक्त करा लेते हैं, तो इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब तमाम एकेडमिक परिक्षाएँ पास करने और पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी सिर्फ जाति के आधार पर आपको अयोग्य घोषित कर दिया जाता है अर्थात ‘नाट फाउंड सूटेबल’ (कोई पद के योग्य नहीं मिला)। ताकि आगे उन पदों पर अपने वर्ग के हितों के अनरूप नियुक्ति की जा सके, तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- जब केंद्रीय मंत्री के पुत्र को बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के राज्य सरकार बड़े पद पर नियुक्त कर देती है, तो इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब पहली बार सांसद अथवा विधायक बनने पर कैबिनेट मंत्रालय में अहम मंत्रालय सौंपा जाता है, तो इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब बिना आईएएस की परीक्षा पास किए किसी वर्ग-विशेष के लोगों को सीधे संयुक्त-सचिव बना दिया जाता है, तो इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब लॉकडाउन में भी मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री मंदिरों में जाते हैं या विवाह-पार्टी अटैंड करते हैं जबकि दूसरी तरफ मरीजों और मजदूरों को सड़क पर मुर्गा बनाकर पीटा जाता है तो इस विशेषाधिकार को कहते हैं आरक्षण।
- आज तक तीर-कमान भी न बनाने का अनुभव रखने वाली कम्पनी को सीधे राफेल लड़ाकू विमान बनाने का ठेका दे दिया जाता है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- जब एक ही तरह के मुकदमे में यादव को जेल और मिश्रा को बेल (रिहाई) मिल जाती है तो यहाँ दिखाई देता है वर्ग और जाति विशेष का आरक्षण।
- जब हजारों-करोड़ों रुपयों का कर्जा माफ और दस-बीस हजार रुपये के लिये कुर्की की जाती है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- प्राईमरी स्कूल खोलने लायक भी इन्फ्रास्ट्रक्चर न होने के बावजूद ‘कागजी जियो यूनिवर्सिटी’ को 10,000 करोड़ रुपये मिलते हैं वो भी ‘सेंटर आफ एक्सीलेंस’ बनाने के लिए तो इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की भर्ती चुनिंदा जातियों से की जाती है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- सारे मंदिर के पुजारी एक वर्ग विशेष को बनाया जाता है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- जब सेनाध्यक्षों की पूरी टोली एक वर्ग से आती है इसे कहते हैं आरक्षण।
- जब राम मंदिर ट्रस्ट में वर्ग विशेष को ही ट्रस्टी बनाया जाए तो उसे कहते हैं आरक्षण।
- जब पिछड़े वर्ग के बदमाशों को ‘अपराधी’ और सवर्ण वर्ग के बदमाशों को ‘बाहुबली’ कहा जाए तो उसे कहते हैं आरक्षण।
जिसको भारत में आरक्षण नज़र आता है, वह सिर्फ प्रतिनिधित्व है। जो सभी यूरोपीय, अमेरिकी, अफ्रीकी और जापान आदि देशों में भी अपनाया गया है।
‘संख्या के अनुपात मे प्रतिनिधित्व’ लोकतंत्र का प्राण होता है, जिसे भारतीय संविधान ने अपने प्रत्येक नागरिक को प्रदान किया है।