अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। स्थानीय पूरब पोखरा रोड पर अग्रहरि परिवार द्वारा आयोजित संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन भारी संख्या में श्रद्धालु कथा स्थल पर पहुंचे। भागवत कथा के पांचवें दिन पंचपेड़वा आश्रम के भागवताचार्य पंडित चंद्रेश दास जी महाराज द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन, पूतना का उद्धार, गर्गाचार्य द्वारा नामकरण संस्कार, उखल बंधन लीला, गोवर्धन पर्वत धारण एवं गोपियों संग महारास लीला का सुमधुर वर्णन किया गया।
उन्होंने कहा कि बालक कृष्ण अपनी माखन चोरी की लीलाओं से माता यशोदा को तंग करते थे। वे मटकी फोड़कर माखन चुराते और गोपियों के साथ नृत्य करते थे। एक बार जब यशोदा उन्हें ओखल से बांधना चाहती हैं, तो कृष्ण अपनी रस्सी छोटी कर देते हैं और बाद में खुद को बांध लेते हैं। यशोदा के पानी लेने जाने पर कृष्ण उस ओखल को दो पेड़ों के बीच फंसा देते हैं, जिससे पेड़ टूट जाते हैं और दो यक्ष प्रकट होते हैं। कृष्ण उन्हें अपने स्वरूप के दर्शन कराकर मुक्त करते हैं।
गोवर्धन पर्वत धारण की कथा के अनुसार, जब इंद्र देव ने अपने अहंकार के कारण गोकुल वासियों पर प्रलयंकारी वर्षा भेजी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी गोकुल वासियों को उसकी छाया में शरण दी। इस घटना से इंद्र का अहंकार टूट गया और वे श्रीकृष्ण से क्षमा मांगने लगे। इस मौके पर सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रीमद् भागवत कथा का अनुसरण किया और प्रसाद ग्रहण कर पुण्य के भागीदार बने।
रिपोर्ट-आशीष निषाद