संविधान दिवस पर गोष्ठी का आयोजन

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अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। साहस साथी जान्हवी दत्त एवं स्थानीय संस्था ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान के संयुक्त प्रयास से ग्राम पंचायत चिश्तीपुर मे संविधान दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

सर्वप्रथम लोगो द्वारा बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर कर प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात संविधान की उद्देशिका पढ कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सम्बोधन में बताया गया कि आज ही के दिन 26 नवम्बर 1947 को हमारा संविधान बन कर तैयार हुआ था। हर भारतीय नागरिक के लिए हर साल 26 नवम्बर का दिन बेहद खास होता है। दरअसल यही वह दिन है जब देश की संविधान सभा ने मौजूदा संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है, जहां संविधान के लिए मौलिक अधिकार हमारी धार बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं। वही हमारे मौलिक कर्तव्य हमें हमारी जिम्मेदारियां का भी याद दिलाते हैं। हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था, साल 2015 में संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के 125 वी जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था। भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, सरकार की भूमिका प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है। संविधान की मूल प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से लिखी थी यह बेहतरीन अक्षरों में लिखी गई है। इस के हर पन्ने को शांति निकेतन के कलाकारों ने सजाया है, संविधान की प्रतियां हिंदी और अंग्रेजी 2 भाषाओं में लिखी गई थी इन्हें आज भी भारत के संसद में सुरक्षित रखा गया है। संगोष्ठी को दिनेश, ज्योति, सुप्रिया, सूरज, बालरूप सोनी ने भी सम्बोधित किया अन्त मे उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद महिला लीडर दयामति द्वारा दिया गया।
रिपोर्ट-आशीष निषाद

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