आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सिख संप्रदाय के प्रथम गुरु नानक देव के 556वें प्रकाशोत्सव पर बुधवार को गुरुद्वारों में हजारों लोगों ने हाजिरी लगाई और गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष शीश झुकाकर सुख-समृद्धि की कामना की। सिख परिवारों के अलावा अन्य लोगों में भी गुरुद्वारा पहुंचने को लेकर उत्साह दिखा। इससे पहले तीन दिन तक प्रभातफेरी निकाकर समाज के लोगों ने गुरु घर पहुंचने का संदेश दिया। इससे जिन्हें जानकारी नहीं थी उन्हें भी गुरु घर में हाजिरी की बात याद रही।
नगर के मातवरगंज स्थित श्री सुंदर गुरुद्वारा में सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था जो देर शाम तक चलता रहा। महिलाओं और बच्चों में गुरुद्वारे पहुंचने को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्साह देखा गया। लोगों ने गुरुद्वारे में पहुंचकर सबसे पहले फूलों से सजी पालकी में विराजमान गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेका और खुद के साथ परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। जिनके पास सिर ढकने की व्यवस्था नहीं थी उन्हें गुरुद्वारा की ओर से उपलब्ध कराया जा रहा था। सुबह से ही सहज पाठ शुरू हो गया था जिसके समाप्त होने पर दरबार में भोग अर्पित किया गया। इसके बाद सबद-कीर्तन फिर कड़ाह प्रसाद का वितरण किया गया। भजन-कीर्तन में महिलाओं के साथ बच्चों ने भी भाग लिया। पाठ की समाप्ति के बाद अरदास और दोपहर बाद लंगर शुरू हुआ। लंगर में सामाजिक एकता की भी साफ झलक दिख रही थी। लंगर में कोई न तो बड़ा था और न ही छोटा। सभी एक ही पांत में जमीन पर बैठकर गुरु का प्रसाद मान लंगर चख रहे थे। सिख संप्रदाय के अलावा हिदू संप्रदाय के लोगों ने भी गुरुद्वारों में पहुंचकर सिर को ढंकने के बाद गुरुग्रन्थ साहिब के समक्ष शीश झुकाया और सुख-शांति की कामना की। निजामाबाद स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा चरण पादुका साहिब में भी संगतों ने मत्था टेका। हालांकि, अपरिहार्य कारणों से यहां पर मुख्य आयोजन 16 नवंबर को किया जाएगा।
रिपोर्ट-सुबास लाल