पवई आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। धुधुरी गांव में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन भीष्म स्तुति और शक्तिपीठों की उत्पत्ति का गूढ़ वर्णन श्रीधाम वृंदावन से पधारे आचार्य उत्कर्ष पांडेय जी महाराज ने किया।
कथा व्यास ने ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की उत्पत्ति और वराह भगवान के प्राकट्य का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने मनु की तीन कन्याओं की कथा सुनाई जिसमें देवहूति का विवाह कर्दम ऋषि से होना और उनके यहां कपिल भगवान का जन्म हुआ। कपिल भगवान ने सांख्य दर्शन का उपदेश देकर ज्ञान का मार्ग प्रशस्त किया। इसके बाद प्रसूति का विवाह दक्ष प्रजापति से होने का प्रसंग आया। जहां भगवान शंकर के अपमान के कारण वीरभद्र द्वारा यज्ञ का विध्वंस हुआ। इस मार्मिक कथा ने भगवान शंकर और सती के अटूट प्रेम को दर्शाया। कथा के अंत में कथा व्यास ने अन्य शक्तिपीठों की उत्पत्ति का रहस्य समझाया। जिसने शक्ति की उपासना का महत्व प्रतिपादित किया। इस तरह कथावाचक ने कथा के माध्यम से युवाओं को सिखाया कि कैसे हमारे धर्म ग्रंथो में जीवन की हर समस्या का समाधान छिपा हुआ है। उनकी वाणी ने न केवल ज्ञान दिया बल्कि हर हृदय को आध्यात्मिकता से जोड़कर उसे एक नई दिशा दी।
रिपोर्ट-नरसिंह