मृतक के भाई ने उमाकांत, निक्की उपाध्याय, दुर्गेश यादव, विक्की को नामजद करते हुए सात के विरूद्ध दर्ज कराया था हत्या का मुकदमा
मौत में प्रयुक्त असलहा बरामद पुलिस को गुमराह करने में मृतक के साथी पर केस
आजमगढ़ (सृष्टि मीडिया)। सोमवार की देर शाम सिधारी थाना क्षेत्र में हुई राघवेश की हत्या के मामले की गुत्थी 72 घंटे के अंदर पुलिस ने सुलझा दी। राघवेश की हत्या नहीं उसने खुद आत्महत्या की थी। घटना के बाद असलहा छिपाने और पुलिस को गुमराह करते हुए विरोधियों को हत्या में फंसाने की साजिश को नाकाम करते हुए पुलिस ने जहां पूरे मामले से गुरूवार को पर्दा उठा दिया तो वहीं घटना में प्रयुक्त असलहा बरामद करते हुए मृतक राघवेश के साथी राजीव सिंह पुत्र चंद्रदेव सिंह निवासी घोरठ थाना सिधारी को जेल भी भेज दिया।रैदोपुर निवासी राघवेश सिंह पुत्र बसंत बहादुर सिंह की गोली लगने से मौत हो गयी थी। घटना के बाद मृतक के भाई प्रभाकर सिंह ने पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सहित सात लोगों के विरूद्ध हत्या का मुकदमा तो दर्ज करा दिया था लेकिन पुलिस के सामने सच्चाई छिप नहीं सकी । घटना के बाद तुरंत घटना स्थल पर पहुंचे पुलिस कप्तान अनुराग आर्य ने जांच के बाद से ही कहानी को आत्महत्या की तरफ से देखना शुरू किया। सच्चाई वही सामने आयी जिस पर पुलिस को शक था। गुरूवार को पुलिस ने राघवेश हत्या काण्ड की गुत्थी को सुलझाते हुए इस हत्या काण्ड से पर्दा उठा दिया।
शिक्षिका मासूका के चक्कर में राघवेश ने खुद मारी थी गोली
प्रापर्टी डीलर राघवेश की हत्या के मामले में जांच के बाद पुलिस ने जो खुलासा किया उसकी यदि बात करें तो घटना के पीछे उसकी प्रेमिका की वजह सामने आ रही है। वर्ष 2015 से राघवेश की एक लड़की से प्यार चल रहा था। 2020 में दोनों की अलग-अलग शादियां हो गयी। तभी से दोनो एक दूसरे से अलग रहने लगे। बीच में राघवेश प्रेमिका से पुनः बात करने के लिए दबाव बनाता था। शादी और पारिवारिक स्थिति को देखते हुए प्रेमिका ने इन्कार कर दिया। घटना के दिन कार से राघवेश प्रेमिका के घर पहुंचा और उसकी मोबाइल पर फोन करने लगा। उससे जब बात नहीं हुई तो उसकी बहन की मोबाइल के जरिए बात करने और मिलने के लिए दबाव बनाने लगा । जब कोई रिस्पांस नहीं मिला तो राघवेश ने पहले हवाई फायरिंग करते हुए आत्महत्या करने की धमकी दी और खुद को गोली मार ली थी। जिसका खुलासा पुलिस ने गुरूवार को कर दिया। घटना के दिन से ही पुलिस की शक की सूई हत्या नहीं आत्म हत्या की तरफ जो घूम रही थी वह सही निकली।
सीसी टीवी फुटेज के जरिए घटना के तह तक पहुंची पुलिस
राघवेश की मौत के बाद पुलिस तह तक जाने के लिए तीन टीम गठित कर कप्तान ने 72 घंटे के अंदर घटना की सच्चाई का जो निर्देश अपने अधीनस्थों को दिया था उस पर खरा उतरते हुए पुलिस ने जब आसपास लगी सीसी टीवी को खंगाला तो घटना के बाद आसपास से कोई ऐसी हरकत नजर नहीं आयी जो मामले को हत्या की तरफ इशारा करे। पुलिस ने सीसी टीवी फुटेज खंगाला तो पता चला कि मृतक राघवेश खुद कार के अन्दर से फायरिंग कर रहा था। उसकी मोबाइल खुफिया जानकारी के अनुसार जब पुलिस राघवेश के प्रेमिका तक पहुंची तो सच्चाई खुद ब खुद सामने आ गयी। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि पुलिस ने राघवेश की प्रेमिका को हिरासत में लेकर जब पूछताछ की तो हत्या की अबूझ पहेली की कहानी खुलकर सामने आ गयी।
दुश्मनो को फंसाने की चाल को पुलिस ने किया नाकाम
वर्ष 2015 में डीएवी पीजी कालेज के प्रांगण में रमाकांत उर्फ रामा की हत्या के मामले में राघवेश सहित उसका भाई प्रभाकर भी हत्यारोपी था जिसकी सुनवाई चल रही थी। जब राघवेश की मौत हो गयी तो आत्महत्या को हत्या का रूप देकर अभिषेक उपाध्याय, उमाकांत यादव, दुर्गेश यादव और विक्की सिंह को नामजद कर रमाकांत की हत्या में गवाही न करने की दबाव बनाने के उद्देश्य से प्रभाकर ने नामजद कर दिया। लेकिन पुलिस ने उसके मंसूबे पर पानी फेरते हुए निर्दोषों को हत्या जैसे संज्ञेय मामले में जेल जाने से बचा लिया।
चहुॅओर हो रही है कप्तान की सराहना
जनपद में तैनाती के बाद से जनपद पुलिस के मुखिया अनुराग आर्य पुलिसिंग व्यवस्था को सुधारने के लिए दिनरात योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की वजह से जहां जनपदवासी उनके कार्यों की सराहना करते हैं तो वहीं प्रापर्टी डीलर हत्या काण्ड में 72 घंटे के अंदर पुलिस द्वारा जो खुलासा किया गया वह एक अलग तरीके का खुलासा था जो बिल्कुल सत्य के करीब पहुंचने की वजह से जनपद के समाजसेवी सहित हर कोई अनुराग आर्य की सराहना में जुट गया है। वहीं कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने फेसबुक के जरिए राघवेश हत्या काण्ड खुलासे को लेकर कसीदे लिख कर कप्तान की सराहना कर रहे हैं।
रिपोर्ट : उमेश राय