बाल्यकाल से ही शिवभक्त थी अहिल्याबाई होल्कर

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फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। स्थानीय शंकर जी तिराहा स्थित शिव मंदिर पर लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयन्ती मनाई गयी।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य अरविन्द कुमार ने कहा कि महारानी अहिल्याबाई होल्कर एक अति सामान्य सम्मानित कृषक सैनिक पिता मनको जी शिंदे तथा माता सुशीला देवी के गर्भ से 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चांड़ी ग्राम में हुआ था। बचपन से ही शिक्षा व संस्कार सहित आत्मरक्षा के लिए तीर, तलवार, भाला, घुड़सवारी आदि का ज्ञान था। बाल्यकाल से ही शिवभक्त, विनम्र और सादगी संपन्न इनके व्यवहार से प्रभावित होकर सन 1733 में महाराज मल्हार राव होल्कर ने अपने बेटे खंडेराव होल्कर से इनका विवाह कराया। करीब 4 वर्ष पश्चात इनका गौना हुआ इनके दो बेटे भी थे। अल्पायु में उनके पति का देहांत हो गया। अपने राज्य में ज्ञानी विद्वानों तथा ब्राह्मणों का बड़ा ही सम्मान करतीं उन्हें समुचित उपहार व दान देतीं निर्धनों, वंचितों पर विशेष अनुग्रह करतीं। इन्होंने पति या पुत्र के दिवंगत होने पर संपत्ति में महिलाओं के अधिकार की व्वस्था करवाईं। न्याय हित में बेटे को भी मृत्यु दंड की सजा सुनायीं।
इस मौके पर संयोजक शैलेंद्र प्रजापति, चंपा देवी मौर्या, अशोक मौर्य, शकुंतला बरनवाल, शिमला प्रजापति, रीना सोनी, शांति देवी, विमला, पदमावती बरनवाल, राजकुमारी प्रजापति, रामनाथ प्रजापति, छोटे लाल यादव, आयुष मोदनवाल आदि उपस्थित रहे। संचालन सुरेश कुमार मौर्य ने किया।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय

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