प्रो.अखिलेश चन्द्र ने जताया महाविद्यालय का आभार

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। श्री गांधी पीजी कालेज मालटारी के पुस्तकालय हाल में प्रोफेसर अखिलेश चन्द्र ने विगत दिनों महाविद्यालय परिवार से मिले अपने सारस्वत सम्मान और साहित्यकार की कुर्सी से पुरस्कृत होने के उपरान्त रविवार को महाविद्यालय के प्राध्यापकों, कर्मचारियों को प्रीतिभोज देकर आभार व्यक्त किया।
प्रो.अखिलेश चन्द्र की कहानियां अनकही, पलायन, चंद्रकला, आ जी ले जरा, हंसूली, इंतजार, वाह रे डॉक्टर, अखिल आई हेट यूं, फूलवाली, रिक्शावाला, दुविधा ने इन दिनों पूरे साहित्य जगत में अपनी अलग पहचान बना रखा है। वर्तमान में इनकी कहानी अनकही को प्रतिलिपि डॉट कॉम पर ऑनलाइन अब तक 11347 पाठकों ने पढ़ा है। कहानी हंसूली का राज कुमार शाह निर्देशक अभिनेता संयोजक समूहन कला संस्थान ने नाट्य रूपांतरण करके अब तक 24 बार राष्ट्रीय नाट्य मंचन किया है।
इनकी कहानियों पर आगामी दिनों में डॉ.अमित दुबे और निधि सिंह द्वारा संपादन में डॉ. अखिलेश चन्द्र की कहानियों में विविध विमर्श नाम से पुस्तक प्रकाशनाधीन है जिसमें भारत भर के समीक्षकों ने उनके कहानी लेखन और कहानियों की समीक्षा की है। प्रोफेसर अखिलेश चन्द्र कथाकार द्वारा वर्तमान हिंदी साहित्य में कहानी लेखन का अंग्रेजी रूपांतरण आजमगढ़ के लिए ही नहीं भारत स्तर के लिए गर्व की बात है।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो.शुचिता श्रीवास्तव सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, कर्मचारी व राजेंद्र मौर्य, वीर सिंह, मिथलेश मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-दीपू खरवार

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