आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। महाराजा सुहेल देव विश्वविद्यालय में ‘रांगेय राघव का सृजनलोक’ पर राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन विश्वविद्यालय के सेमिनार हॉल में कुलसचिव विशेश्वर प्रसाद, प्रसिद्ध आलोचक रघुवंश मणि, डॉ वंदना चौबे, प्रो0 समीर पाठक एवं संयोजक सुजीत कुमार ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की । विश्वविद्यालय की छात्राओं ने स्वागत गीत व विश्वविद्यालय का कुल गीत गाकर कार्यक्रम का विधिवत आगाज किया।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव विशेश्वर प्रसाद एवं कार्यक्रम के संयोजक सुजीत कुमार ने अपने शुरुआती संबोधन में रांगेय राघव को हिंदी का महान योद्धा बताया उन्होंने बताया कि राघव जी सृजनशीलता काबिले तारीफ थी, इन्होंने अपने अल्प जीवन काल में सृजनलोक से परिचय कराया एक सुखद आश्चर्य उस समय हुआ जब रांगेय राघव की धर्मपत्नी सुलोचना राघव एवं वरिष्ठ आलोचक प्रो. जीवन सिंह ने ऑनलाइन शुभकामना संदेश दिया। पूरा सेमिनार हाल उत्साह से लवरेज हो गया। परिसंवाद में कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि एवं राजनीतिक चिंतक टी डी कॉलेज वाराणसी के पूर्व प्रो. एमपी सिंह ने किया।
मुख्य अतिथि राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय प्रयागराज उत्तर प्रदेश के कुलपति प्रो. सत्यकाम ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि इस तरह के आयोजन विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों को एक नई ऊर्जा प्रदान करते है। जहां तक राघव जी का प्रश्न है अल्प आयु में ही साहित्य के क्षेत्र में बड़ा नाम माना गया। हमें तो यह भी अवगत कराया की विद्वता उम्र की मोहताज नहीं होती उनका जीवन सृजनशील, उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार,कवि एवं इतिहासवेत्ता रांगेय राघव के व्यक्तित्व पर संक्षिप्त परिचय, वृत्तचित्र एवं उनका सृजनलोक से परिचय कराया। अतिथियों का स्वागत कुलसचिव विशेश्वर प्रसाद द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में अन्य वक्ता के रूप में सुपरिचित आलोचक और डी.ए.वी. कॉलेज, वाराणसी हिंदी विभाग के प्रो. समीर पाठक ने बताया कि पीठ संचालन एक जिम्मेदारी भरा काम हैं । मार्क्सवाद के बिना रांगेय राघव पर बातचीत नहीं हो सकती। उनकी भाषा शैली बेहद प्रवाहपूर्ण और भावनाओं से ओतप्रोत थी। कार्यक्रम में भारी संख्या में छात्र-छात्राओं के साथ-साथ कला संकाय अध्यक्ष डॉ देवेंद्र प्रताप सिंह, डॉ पंकज सिंह, डॉ सुरेंद्र पांडे, डॉ हसीन खान, डॉ जय प्रकाश, डॉ प्रवेश कुमार सिंह तथा कई महाविद्यालयों के प्रोफेसर्स एवं विश्वविद्यालय परिसर के प्राध्यापकों की गरिमामयी उपस्थिति रही। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन बरदह पीजी कॉलेज के डॉ संजय श्रीवास्तव ने किया।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार