रमजान अल्लाह की रहमत के मजमूये का नाम: मो.अब्दुल बारी

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अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। रमजान मुबारक की रहमत और बरकत से मालामाल होने के लिए जरूरी है कि इसकी फजीलत इसके पैगाम और इसके मकसद को अपने जेहन में ताजा करें ताकि इसकी रहमतों, बरकतों, इनायतों और नवाजिशों से पूरी तरह फायदा उठा सकें। उक्त बातें मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी आजमी पेश इमाम जामा मस्जिद अतरौलिया एवं उस्ताद मदरसा अरबिया फैजे नईमी सरैया पहाड़ी ने कही।
उन्होंने कहा कि अल्लाह की अजीम और कीमती नेमतों में से एक मुकद्दस तरीन अहमियत की हामिल नेमत रमजान उल मोबारक का महीना है। रमजान अल्लाह की रहमत के मजमूये का नाम है। यह इंसानों को गफलतों और कोताहियों से निकाल कर अल्लाह से लो लगाने की अनमोल दावत है। यह मुसलमानों के लिए नवैद ए जांफेजा है, जिसके जरिए वह इस की रौनकों और खुशबुओं से साल भर तक महकता रहता है। रमजान में एक रात ऐसी है जो हजार मीनों से बेहतर है, जिसे शब ए कद्र कहते हैं। इसके दिन में रोजे फर्ज किए गए और इसकी रात में नमाजे तरावीह, जो इसमें नेकी का कोई एक काम करे, तो ऐसा है जैसे और किसी महीना में फर्ज अदा किया। इसमें जिसने फर्ज अदा किया तो ऐसा है जैसे और दोनों में 70 फर्ज अदा किया। यह महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। रमजान के महीना में रोजादार को इफ्तार कराने वाले को वैसा ही सवाब मिलेगा जैसा रोजादार को। जो ईमान की वजह से और सवाब की नीयत से शबे कद्र में शब बेदारी करेगा उसके अगले गुनाह बख्श दिए जाएंगे।
रिपोर्ट-आशीष निषाद

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