डॉ. कन्हैया सिंह जनपद की अमूल्य थाती थे-कलराज मिश्र

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार और प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक की प्रथम पुण्यतिथि नेहरू हाल में मनाई गई। मुख्य अतिथि राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र, सारस्वत अतिथि मंत्री अनिल राजभर, मुख्य वक्ता प्रदेश महामंत्री भाजपा संजय राय के साथ विशिष्ट अतिथि एम एल सी देवेंद्र प्रताप सिंह, विक्रांत सिंह रिशु, क्षेत्रीय अध्यक्ष भाजपा सहजानंद राय, पूर्व मंत्री यशवंत सिंह, पूर्व सांसद नीलम सोनकर एवं विभाग प्रचारक दीनानाथ के साथ ही जनपद के प्रख्यात साहित्यकारों ने अपने वैचारिक श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए डॉ0 कन्हैया सिंह को अपनी भावांजलि दी। पुण्यतिथि की अध्यक्षता महाराजा सुहेलदेव विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार ने की।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ. कन्हैया सिंह के चित्र पर अतिथियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई। डॉ. कन्हैया सिंह के पौत्र इलाहाबाद विवि के हिंदी विभाग में सहायक आचार्य डॉ. विनम्रसेन सिंह ने पुण्यतिथि पर आए मानद अतिथियों तथा उपस्थित जनमानस का स्वागत करते हुए, अपने दादाजी के जीवनवृत्त तथा साहित्यिक कृतित्व द्वारा राष्ट्रसेवा समर्पणभाव को उद्घाटित करते हुए कहा कि उनका जीवन परिवार से कहीं अधिक राष्ट्र का था, मेरी स्मृतियों के झरोखों में उनके दैनंदिन जीवन के अतिरिक्त उनकी कागज़ कलम और किताबें ही झलकती हैं जिनमें भारत भारती की अविरल गंगोत्री से राष्ट्र और समाज के हित चिंतन की निर्मल गंगा ही प्रवाहमयी रूप में दृश्यमान होती है, उनके विचार मूल्यों, मानकों और मार्ग पर चलना मेरे लिए न केवल आदर्श है अपितु जीवन का प्रथम और अंतिम लक्ष्य है।
अपने उद्बोधन में पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि डॉ. कन्हैया सिंह जनपद की अमूल्य थाती थे अपने राष्ट्रवादी साहित्यिक चिंतन द्वारा उन्होंने न केवल राष्ट्र प्रथम की उद्घोषणा की अपितु आने वाली पीढ़ियों को भी साहित्य और राजनीति के अद्भुत संगम द्वारा राष्ट्र सेवा की अनुपम प्रेरणा प्रदान की, डॉ0 कन्हैया सिंह और मेरा छात्र जीवन से ही पुराना नाता रहा है इसीलिये उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को आज के युवा साहित्यकारों और समाजसेवियों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण मानता हूँ।
मंत्री अनिल राजभर ने डा. सिंह के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका चिन्तन जड़ता का नहीं अपितु दृढ़ता का था जो राष्ट्रहित की समसामयिकता के अनुकूल गतिशील होता रहा।
मुख्य वक्ता संजय राय ने डॉ. सिंह को साहित्य जगत का दैदीप्यमान नक्षत्र बताते हुए कहा कि ऐसे साहित्यकार सदियों में जन्म लेते हैं जो साहित्य के माध्यम से राजनीति में राष्ट्रहित की मशाल को प्रज्वलित कर राष्ट्र को प्रगति की राह पर अग्रसर करते हैं।
कुलपति प्रो. संजीव कुमार ने डॉ0 सिंह को साहित्य,समाज और राष्ट्र का अनुभवी दिग्दर्शक बताते हुए कहा कि ऐसे महान व्यक्तित्व की कृतियों और कर्मों को न केवल याद करना है अपितु उनकी बताई गई राह पर चलते हुए अपने अपने कर्मों को राष्ट्र प्रथम के भाव से समर्पित कर भारतीय मनीषा के माध्यम से जनजागरण की अलख जगाकर देश की सेवा करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। समारोह का संचालन डा. पंकज सिंह ने किया।
इस अवसर पर डॉ. सिंह के परिवारीजन, अखिलेश मिश्रा गुड्डू, माला द्विवेदी, प्रेम प्रकाश राय, शिवनाथ सिंह, सूरज प्रकाश श्रीवास्तव, श्रीकृष्णपाल, जयनाथ सिंह, राकेश सिंह रामा, पवन सिंह मुन्ना, सौरभ बीनू, अवनीश मिश्रा, सहित जनपद के सभी प्रमुख साहित्यकार, चिकित्सक गण, अधिवक्तागण, शिक्षाविद एवं छात्र- छात्रायें उपस्थित रहें।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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