संस्कृत विद्यालय की बदहाली पर प्रशासन मौन

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महराजगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। आज के इस आधुनिक युग में, जहां सरकार और शिक्षा विभाग यह दावा करते हैं कि देशभर में शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है, वहीं कुछ विद्यालयों की स्थिति उनके दावों की सच्चाई पर सवाल उठाती है।
महराजगंज विकास खंड में स्थित संस्कृत महाविद्यालय भैरव जी व सनातन धर्म उत्तर माध्यमिक विद्यालय अखरचन्दा को देखने से कम से कम तो यही लगता है। भैरव जी संस्कृत विद्यालय का आलम यह है कि प्राचार्य प्रभारी कंचनलता चतुर्वेदी व सहायक अध्यापक रेखा उपाध्याय का विद्यालय में कोई अतापता तक नहीं मिला जबकि उमेश चौबे नाम के एक व्यक्ति ने अपने आप को प्राचार्य बताते हुए प्राचार्य की कुर्सी पर बैठ कागजी कार्य करता हुआ मिला। मीडिया कर्मियों ने ज़ब उनसे नियुक्त अध्यापकों की उपस्थिति के बारे पूछा तो वे हीला-हवाली करने लगे और खुद को विवादित प्राचार्य बताते हुए कहा कि उनके नियुक्ति का मुक़दमा न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि विद्यालय में 60-70 विद्यार्थीयों का पंजीयन है परन्तु उपस्थिति के नाम पर सभी कक्ष विद्यार्थिओं से खाली व कबाड़ तथा गन्दगी से भरे मिले। विद्यालय परिसर में झाड़ झंखाड़ व गन्दगी का राज देखने को मिला।
अखरचन्दा संस्कृत विद्यालय की इमारत तो राम भरोसे है, कब गिर जाय इसका कोई भरोसा नहीं। विद्यालय में उपस्थित प्राचार्य प्रकाश चंद मिश्र ने बताया कि विद्यालय में कुल 78 विद्यार्थी पंजीकृत है तथा दो शिक्षक है जिसमे एक तनु राय मानदेय पर हैं, परन्तु उपस्थित नहीं मिली। इस विद्यालय से भी विद्यार्थी नदारत मिले परन्तु कागजो पर उपस्थित रहे। विद्यालय की इमारत में दरारें आ गई हैं और विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। विद्यालय के शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़े हुए हैं। कुछ शिक्षक तो विद्यालय आते ही नहीं है, जबकि कुछ शिक्षक अपने व्यक्तिगत कार्यों में व्यस्त रहते हैं। शिक्षकों का यह रवैया भी विद्यालय की स्थिति को और भी खराब बना रहा है। इस संबंध में जिला विद्यालय निरिक्षक को फोन किया गया तो उन्होंने फोन उठाया ही नहीं।
रिपोर्ट-राजनरायन मिश्र

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