अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अमर शहीद राजा जय लाल सिंह 100 शैय्या अस्पताल के ओपीडी का समय सुबह 8 बजे से दोपहर दो बजे तक है। ऐसे में बृहस्पतिवार की सुबह 9 बजे जब मीडिया टीम इसकी हकीकत जानने पहुंची तो देखा कि अस्पताल के मुखिया सीएमएस समेत कई डाक्टर ओपीडी के समय में अपने चैंबर से गायब रहे। वहीं एक्स-रे, पैथोलॉजी व टोकन पर्ची देने वाले समय पर मौजूद मिले। जब डाक्टर की उपस्थिति पंजिका देखा गया तो कुछ डाक्टर के हस्ताक्षर थे लेकिन वह चैंबर से नदारत रहे। कई डॉक्टरों का तो महीने की पहली तारीख से ही हस्ताक्षर नहीं थे। कुछ एक या दो दिन से उपस्थित पंजीकरण में नहीं थे तो वहीं कुछ डॉक्टर अपनी उपस्थिति एडवांस में ही उपस्थिति पंजिका रजिस्टर पर दर्ज की थी।
मीडिया की टीम जब सुबह 9.30 बजे प्रत्येक ओपीडी के कमरे का जायजा लिया तो केवल दो ही डाक्टर अपने चेंबर में उपस्थित पाए गए जो मरीज देख रहे थे बाकी सभी चेंबर खाली पड़े थे। इस दौरान जब मीडिया टीम सीएमएस के कमरे में पहुंची तो वहां भी कुर्सी खाली मिली। इस संदर्भ में जब कर्मचारियों से पूछा गया तो पता चला कि सीएमएस अपने कमरे पर आराम फरमा रहे हैं।
भीषण ठंड के मौसम में मरीज इधर-उधर भटकते रहे। जब कुछ मरीजों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सुबह 8 बजे से ही अस्पताल में आए हैं लेकिन कोई डाक्टर नहीं आया है। जब मीडिया कर्मियों द्वारा इसका फोटो वीडियो बनाने की कोशिश की गई तो वहां उपस्थित गार्ड द्वारा रोका गया और बताया गया कि सीएमएस का निर्देश है कि कोई मीडिया कर्मी फोटो वीडियो नहीं बना सकता।
इस संदर्भ में अस्पताल के सीएमएस डा.एसके ध्रुव से बात की गई तो उन्होंने बताया अस्पताल का समय सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक है। डाक्टर के उपस्थिति के बारे में बताया कि सभी डाक्टर मौजूद हैं। डा. अली हसन व मुकेश गुप्ता 13 तारीख तक छुट्टी पर हैं। फोटो वीडियो बनाने के संदर्भ में बताया कि मेरे द्वारा ही गार्ड से बोला गया है कि कुछ डिलीवरी या महिलाओं की ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिसका फोटो वीडियो कोई न बनाएं। स्वयं अस्पताल में अपनी उपस्थिति पर उन्होंने बताया कि मैं सुबह से अस्पताल में मौजूद था दोनों अस्पतालों के राउंड में लगभग एक से डेढ़ घंटे लगते हैं, मैं राउंड पर था। उपस्थिति रजिस्टर को स्वयं अपने कमरे में रखते हैं। 9.45 बजे हमीर सिंह और डा. गुलाटी के अलावा कोई भी ओपीडी में मौजूद नहीं था, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि डा. मुकेश गुप्ता भी थे। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि सीएमएस की बात को माना जाए या मरीजों की। जबकि हकीकत कुछ और ही बयां कर रही जो मीडिया कर्मियों के कैमरे में कैद है।
रिपोर्ट-आशीष निषाद