आस्था की लहर का असर देखिए, बैंकाक से भी चले आते हैं बहते हुए

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। ’बातें कर लें चाहे जितनी विज्ञान की, आज भी जरूरत है ऊपर वाले के ध्यान की’। कुछ इसी तरह का भाव दिखता है नैनीजोर की रामलीला में। यहां तक कि बैंकाक रहने वाले भी रामलीला शुरू होने से पहले अपने गांव नैनीजोर पहुंचने की पूरी कोशिश करते हैं। यही हाल है गांव से दूर रहने वाले अन्य लोगों का। नौकरी हो या फिर व्यवसाय, आस्था के समंदर में गोते लगाने की लालसा साल भर बनी रहती है।
जिले में वैसे तो कई स्थानों पर काफी दिनों से रामलीला का मंचन होता चला आ रहा है, लेकिन नैनीजोर की रामलीला के प्रति लोगों की आस्था कुछ अलग ही है। नैनीजोर गांव की रामलीला 1960 से अनवरत होती चली आ रही है। इससे ग्रामीणों की आस्था जुड़ी है और विश्वास यह कि मंचन देखने या फिर उसमें किरदार निभाने मात्र से जीवन की नैया के पतवार बन जाते हैं राम जी। तभी तो सरकारी नौकरी करने वाले अध्यापक, विदेश में काम कर रहे गांव के लोग, व्यवसाय कर रहे ग्रामीण रामलीला का मंचन देखने या किरदार निभाने के लिए गांव चले आते हैं। ग्रामीणों की मान्यता है कि गांव में स्थित हनुमान जी के मंदिर व रामलीला में आस्था रखने वाले गांव के लोगों को हर क्षेत्र में कामयाबी जरूर मिलती है।
रामलीला कमेटी के सदस्य और हनुमान जी की भूमिका निभाने वाले जगदंबा सिंह ने बताया कि 1960 से अनवरत गांव की रामलीला का मंचन किया जाता है।
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गांव में 219 वर्ष पहले हुआ था आस्था का अंकुरण

आजमगढ़। नैनीजोर की रामलीला का मंचन भले ही 64 वर्षों से हो रहा है, लेकिन गांव में आस्था का अंकुरण लगभग 219 वर्ष पहले ही शुरू हो गया था जब 1805 में गांव में हनुमान जी के आराधक व सिद्ध संत खाकी बाबा चित्रकूट से हनुमान जी की मूर्ति लेकर आए और गांव में ही उसकी स्थापना की। गांव के लोगों की मानता है कि मंदिर में दर्शन मात्र से दैवीय आत्मविश्वास उत्पन्न हो जाता है। खाकी बाबा की प्रेरणा से ही गांव में आगे चलकर रामलीला का मंचन शुरू हुआ था, लेकिन 1960 से अनवरत रामलीला का मंचन हो रहा है।
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राम जन्म के दिन गांव में बांटे जाते हैं लड्डू

आजमगढ़। नैनीजोर गांव के 75 वर्षीय रामनारायण सिंह रामलीला में मेघनाथ की भूमिका निभाते थे। कहा कि, गांव की रामलीला हम लोगों की धार्मिक से आस्था से जुड़ी है। मंचन के प्रति सभी का समर्पित भाव होता है। खुशियों का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि राम जन्म व राम विवाह के मंचन के दिन पूरे गांव में खुशियां मनाई जाती हैं व घर-घर लड्डू बांटे जाते हैं।
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’सब पर कृपा राम क भयहू, सकल मनोरथ पूरा करेहू’

आजमगढ़। नैनीजोर की रामलीला मंचन में किरदार निभाने वाले हों या फिर किसी भी स्तर पर सहयोग करने वाले। सबका राम के प्रति समर्पण का भाव निराला दिखा। उनके चेहरे का भाव कह रहा था ’सब पर कृपा राम क भयहू, सकल मनोरथ पूरा करेहू’।
बैंकाक में व्यवसाय करने वाले गांव निवासी अमित सिंह ने बताया िकवह रामलीला में इंद्रजीत का किरदार निभाते हैं। इसलिए सप्ताह भर पहले ही गांव आ गए हैं। रामलीला के संचालन के लिए बने श्री खाकी बाबा धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी जगदंबा सिंह ने बताया कि 11 दिनों तक गांव में रामलीला चलती है। सभी लोग ट्रस्ट में आर्थिक सहयोग करते हैं। राम जी का किरदार रोहित पांडेय व लक्ष्मण जी का किरदार आदित्य सिंह निभाते हैं। रामलीला को देखने के लिए दर्जनों गांव के लोग आते हैं।
रिपोर्ट-सुबास लाल

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