आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। खरीफ का ज्वार भले ही पशुओं का बेहतरीन व न्यूटीशियस वाला चारा है, लेकिन इसमें पाया जाने वाला धूरिन साइनाइड पशुओं के पेट में जहर पैदा कर देता है। बारिश से पहले अगर पशु ने इसे खा लिया तो उसकी मौत भी संभव है। इसलिए दो-तीन बारिश से पहले इस चारे को कदापि पशुओं को न खिलाएं। कृषि विज्ञान केंद्र, लेदौरा के वैज्ञानिकों ने किसानों को हर हाल में सतर्कता बरतने को कहा है। ज्वार बहुत ही न्यूट्रीशियस है। इसमें आठ से 10 प्रतिशत तक क्रूड प्रोटीन पाई जाती है। सिंगल कट वैराइटी में 200 से 300 क्विंटल हरा चारा प्रति हेक्टेयर और मल्टी कट वैराइटी में 600 से 900 क्विंटल हरा चारा प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है। मगर इसमें एक दुर्गुण भी है। इसके अंदर एक साइनोजेनिक ग्लूकोसाइड पाया जाता है। इसका नाम है धूरिन। यह धूरिन ही समस्या की जड़ है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एलसी वर्मा की मानें तो यह धूरिन कुछ नहीं करता, मगर यह साइनाइड का बाप है। पशु के रुमेन में मौजूद माइक्रोआर्गनिस्मस इस कम्पाउंड का हाइड्रोलिसिस करके पशु के पेट में साइनाइड नामक जहर पैदा करते हैं और बस कहानी यहीं से एक नया मोड़ लेती है। यह साइनाइड कोशिकाओं में मौजूद साइटोक्रोम आक्सीडेज नामक एंजाइम को काम करने से रोकता है। इसके कारण हीमोग्लोबिन से आक्सीजन रिलीज नहीं हो पाती और पशु का दम घुटने लग जाता है। दम घुटने से पशु मर जाता है। यह काम इतनी तेजी से होता है कि पालक कुछ समझ नहीं पाते। जानवर खुला छूट गया और ज्वार के खेत को चर लिया, तो उसकी मौत हो सकती है। कृषि विज्ञान केंद्र, लेदौरा के वैज्ञानिक डा. एलसी वर्मा ने बताया कि ज्वार में धूरिन की मात्रा एक-दो बारिश होने के बाद घटने लगती है। इसलिए धूरिन तभी तक हानि पहुंचाता है जब तक कि बारिश नहीं हुई हो। बारिश होने पर धूरिन का प्रभाव खत्म हो जाता है और फिर सभी पशुओं को ज्वार खिलाया जा सकता है।
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नुकसान से बचने के लिए यह करेें इंतजाम ………..
आजमगढ़। फसल की सिंचाई की व्यवस्था हो, तो फसल को एक-दो बार सिंचाई के बाद ही काटकर खिलाएं। ज्वार को काटकर खिलाने की सबसे बेहतरीन अवस्था है जब उसमें 50 प्रतिशत फूल आ जाएं। इस अवस्था में भी धूरिन की एक्टिविटी कम हो जाती है। इसके अलावा ज्वार को काटकर धूप में सूखाकर खिलाया जा सकता है। इससे हाइड्रोजन साइनाइड की मात्रा कम हो जाती है। अगर जानवर ने बारिश से पहले ज्वार खा लिया, तो पशु की मृत्यु हो सकती है।
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अक्सर फैलती है अफवाह
आजमगढ़। बारिश से पहले तमाम पशुओं की मौत इसी कारण से होती है। ऐसे में तमाम पशुपालकों को यह लगता है कि उनके पशु को किसी ने जहर दे दिया है। इसकी वजह से उसकी मौत हुई है, जबकि ऐसा नहीं है।
रिपोर्ट-सुबास लाल