आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। कम से कम यह साफ हो गया है कि सामाजिक न्याय का सवाल भारत की राजनिति के केन्द्र में स्थापित हो चुका है। साम्प्रदायिक शक्तियों और व्यक्तियों को लोकसभा चुनाव के अन्तिम चरणों में सफाई देनी पड़ी कि वे सामाजिक न्याय विरोधी नहीं हैं।
लोक सभा चुनाव के छठें चरण के मतदान 25 मई के दिन सामाजिक न्याय के प्रणेता, वैज्ञानिक समाजवाद के प्रबल समर्थक, विश्व राजनीति के सशक्त हस्ताक्षर स्मृति शेष चन्द्रजीत यादव की पुण्यतिथि पर हरबंशपुर स्थित उनके आवास पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए लोकसभा चुनाव को चन्द्रजीत यादव के विभिन्न तरीकों से जांचने- परखने का प्रयास किया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य मुन्नू यादव ने कहा कि आज के समय में चन्द्रजीत यादव के विचारों की प्रासंगिकता काफी बढ़ गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रामअवध यादव ने कहा कि चन्द्रजीत यादव सामाजिक न्याय के अप्रतिम योद्धा थे। राष्ट्रीय सामाजिक न्याय आन्दोलन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष खुर्शीद आलम ने कहा कि जब देश के शासक अल्पसंख्यकों को विशेष रूप से मुसलमानों के साथ दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में व्यवहार करने लग गए थे, तब चन्द्रजीत यादव अल्पसंख्यकों के अधिकारों व संविधान की प्रस्तावना के अनुसार भाईचारा के लिए संघर्ष कर रहे थे।
मन्तराज यादव, मुख्तार अहमद, रामगनेश प्रजापति, प्रदीप यादव ने भी अपने विचार रखे। संचालक राष्ट्रीय सामाजिक न्याय आन्दोलन आजमगढ़ के अध्यक्ष रामकुमार यादव ने चन्द्रजीत यादव को विज्ञान की कसौटी पर रखकर देखा और कहा कि चन्द्रजीत यादव वस्तुतः भाववाद के विरोधी तथा यथार्थवाद अर्थात भौतिक वाद के समर्थक थे। इसलिए उनके समाजवादी चिन्तन में मार्क्स और लेनिन के भौतिक वादी दर्शन को देखा जा सकता है।
आयोजक व सामाजिक न्याय एवं बाल भवन केन्द्र के निदेशक रामजनम यादव ने चन्द्रजीत यादव के राजनितिक जीवन को रेखांकित करते हुए उन्हें विज्ञानवादी करार दिया। क्रार्यक्रम में मीनू यादव, कंचन मौर्या, आशिनीदेव, सत्य बरनवाल, उमेश यादव, गोविन्द यादव, विनोद राम, रामप्यारे यादव, विजय यादव, रवि यादव, देवपार व दिनेश यादव आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरूआत में चन्द्रजीत यादव के चित्र पर लोगांे ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार