लालगंज (सुरक्षित) सीट की तस्वीर साफ नहीं, मतदाता मौन

शेयर करे

लालगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। संसदीय चुनाव चल रहा है। छठें चरण में 25 मई को लालगंज लोकसभा के होने वाले चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार तो शुरू हो गया है, लेकिन मतदाता पूरी तरह मौन साधे हुए केवल तेल और तेल की धार देख रहे हैं।
जहां एक तरफ सांसद संगीता आजाद के बीजेपी का दामन थामने के बाद बीएसपी ने प्रोफेसर इंदु चौधरी को बीएसपी का उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं बीजेपी ने अपनी पुरानी उम्मीदवार नीलम सोनकर को मैदान में उतारा है। एक बार की विजेता नीलम सोनकर को मैदान में उतारकर जीत हासिल करने की भाजपा ने कोशिश तो की है, लेकिन चैलेंज काफी तगड़ा दिखाई दे रहा है। इंडिया अलायंस ने समाजवादी पार्टी नेता दरोगा प्रसाद सरोज को मैदान में उतारकर जीत हासिल करने की कोशिश की है तो जनता क्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) से आजाद सुष्मिता सरोज, बलेंद्र, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से गंगादीन और बहुजन मुक्ति पार्टी से राम प्यारे सहित कुल 7 प्रत्याशी मैदान में हैं। माना जा रहा है कि अंतिम लड़ाई बीजेपी की नीलम सोनकर और समाजवादी पार्टी के दरोगा प्रसाद सरोज तथा बीएसपी की प्रोफेसर इंदु चौधरी के बीच हो सकती है। शेष लोग अंतिम समय में क्या गुल खिलाते हैं, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन मतदाताओं की खामोशी से सभी राजनीतिक दलों के माथे पर शिकन दिखाई दे रही है। बसपा से 2019 के चुनाव में जीत दर्ज करने वाली संगीता आजाद के भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद बसपा ने यहां प्रोफेसर इंदु चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बसपा अपनी सीट बचा पाती है या नहीं। फिलहाल मतदाताओं की खामोशी से सभी प्रत्याशियों को अपनी जीत की उम्मीद के बीच संशय बना हुआ हुआ है कि अंतिम समय में क्या होगा। लालगंज (सुरक्षित) संसदीय सीट 1962 में अस्तित्व में आई, जिसमें अतरौलिया, निज़ामाबाद, फूलपुर पवई, दीदारगंज और लालगंज विधानसभा सीटें शामिल हैं।
रिपोर्ट-मकसूद अहमद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *