फल की चिंता छोड़कर कर्म करने में रखो विश्वास

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माहुल आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अहरौला क्षेत्र के तमसा नदी के तट पर फत्तेपुर गांव स्थित स्वामी परमहंस आश्रम पर सोमवार की शाम आश्रम के महंथ कमलेश महाराज के सानिध्य में यथार्थ गीता के संदेश को लोगों को बताया गया आए हुए श्रद्धालुओं को यथार्थ गीता की पुस्तक अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए चंदौली आश्रम से आए मास्टर बाबा ने कहा कि गीता में योगेश्वर भगवान कृष्ण के द्वारा महाभारत युद्ध लड़ने के लिए अर्जुन को दिव्य रूप सहित गीता का उपदेश देकर उनके मोह और भय को दूर किया गया आज हम इस मोह और माया में फंसकर अपने कर्म को भूल जाते हैं और पहले फल की चिंता करते हैं शरीर ठीक उसी वस्त्र की तरह है कि पुराने होने पर उसे हम उतार देते हैं इसी तरह से आत्मा भी अपने पुराने शरीर को छोड़कर पुनः नए शरीर को धारण करती है। अंत में भगवान योगेश्वर किसने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है तब तब हम पृथ्वी पर दुष्टो के विनाश के लिए अवतरित होता हूं मैं सिर्फ धर्म के साथ खड़ा हूं मेरा न कोई सगा है ना मेरा कोई संबंधी है मैं सिर्फ धर्म और सत्य के साथ हूं। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर ओम भगवान व महर्षि अड़गड़ानंद महाराज की प्रतिमा का दर्शन पूजन किया। इस अवसर पर आश्रम के महंत कमलेश महाराज, राजेश महाराज, रामधनी महाराज, हजारों की संख्या में श्रद्धालु और क्षेत्रीय लोग मौजूद रहें।
रिपोर्ट-श्यामसिंह

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