आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। निःशुल्क ग्रामीण चिकित्सा शिविर का आयोजन करके गरीब मरीजों के लिए, समाज के लिए आज मैं जो भी कर रहा हूं वह पिता जी से मिली सीख का ही परिणाम है। कई बार लोगों को यह लगता है कि वह बहुत ही साधारण सा है, उसके अंदर कोई बड़ा गुण नहीं है। कुछ बड़ा और अलग करने की क्षमता नहीं है। पर याद रखिए हर इंसान के अंदर कोई न कोई गुण होता है, जरूरत होती है तो उसे जानकर उसका अभ्यास करने की। उक्त बातें डा.डीडी सिंह ने प्रेस को जारी एक बयान में कही।
उन्होंने बताया कि पिताजी की इच्छा थी कि हर चिकित्सक को सप्ताह में एक दिन गरीबों को ध्यान में रखते हुए निःशुल्क चिकित्सा करनी चाहिए, जिससे कोई गरीब का बच्चा इलाज से वंचित न रह जाए। पिता जी कहा करते थे कि एक असहाय मरीज की सेवा करने से चेहरे पर जो खुशी और तेज दिखता है, वह बड़े से बड़े लोगों के चेहरे पर नहीं दिखाई देता। तब मैंने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो समाज के लिए कुछ न कुछ करुंगा। आज मैं जो भी कर रहा हूं या कर पा रहा हूं, वह सब मेरे पिताजी की देन है।
डा.सिंह ने बताया कि निःशुल्क चिकित्सा शिविर के 14 वर्ष पूरे होने पर आज पिताजी भले ही हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन उनकी दिखाई राह मुझे हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। उनकी याद में यह निःशुल्क ग्रामीण चिकित्सा शिविर आगे भी ऐसे ही अनवरत चलता रहेगा। सोमवार के शिविर में बहुत दूर-दूर से मरीज आए थे। एक अभिभावक बाजार गोसाईं से अपने बच्चे को लेकर आए थे, जिसका स्वास्थ्य परीक्षण करके उन्हें मुफ्त दवा भी दी गई। इसके साथ ही अगल बगल के दर्जनों गांव के मरीजों का भी निःशुल्क इलाज किया गया।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार