एससी,एसटी व ओबीसी को मिले शिक्षा में समान अवसर-संगीता आजाद

शेयर करे

आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग को शिक्षा और शिक्षण का मिले समान अवसर, तभी होगा बाबा साहब का सपना साकार। आज उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। उक्त बातें लालगंज सांसद संगीता आजाद ने कही।
उन्होंने कहा कि ये अच्छी बात है कि सरकार एक अच्छी पहल की है लेकिन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के विश्वविद्यालय सरकार खोल तो देती है लेकिन इन संस्थाओं को चलाने वाले डीन प्रधानाचार्य, एचओडी और लेक्चरर एवं अन्य कर्मचारियों के सृजन पद के अनुसार न तो अनुसूचित जाति के होते हैं न अनुसूचित जन जाति के होते हैं उन्होने कहा कि मेरे लोक सभा क्षेत्र लालगंज के ब्लाक लालगंज में मान्यवर कांशीराम इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना की गयी थी लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने मा. कांशीराम का नाम हटाकर राजकीय इंजीनियरिंग कालेज रख दिया गया था जो दुःखद है जबकि यह संस्थान एससी एसटी विशेष कम्पोनेंट योजना के तहत इस संस्थान की स्थापना की गयी थी। मैने इस संस्था में विजिट भी की थी जिसमें इस संस्थान में आरक्षण के अनुपात मे कोई पद भरा नहीं गया था। सभी अयोग्य व्यक्तियों का चयन किया गया है और भरा गया है उसे आउटसोंसिंग के माध्यम से भरा गया है। यह एक गम्भ्ीर विषय है, इसकी जांच की जाय। मेरे जनपद आजमगढ़ में महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है। यह स्वागत योग्य है मेरी सरकार से मांग है कि इस स्थान पर महाराजा सुहेलदेव मूर्ति की स्थापना की जाय। देश के सभी विश्वविद्यालयों में नाम तो एससी एसटी, ओबीसी विशेष कम्पोनेंट योजना भारत सरकार एवं राज्य सरकार के फण्ड से स्थापना की जाती है लेकिन इन संस्थानों में जो भर्तिां की जाती है वह आउटसोसिंग के माध्यम से की जाती है। मेरी सरकार से मांग है कि इन विश्व वि?ालयों में एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के अनुरुप इन संस्थानों में स्थायी भर्ती की जाय और साथ ही इन विश्वविद्यालयों में संबद्ध महाविद्यालयों जो डिप्लोमा, बीएड, बीटीसी, एमबीबीएस और अन्य डिग्रियों के लिए जो एससी एसटी, ओबीसी एवं गरीब बच्चों का एडमिशन षून्य बैलेंस पर पूर्वर्ती सरकार में लिया जाता था लेकिन वर्तमान सरकार में इस सभी गरीब बच्चों से संपूर्ण फीस एक ही बार में जमा करने पर ही एडमिशन हो रहा है जिससे करोड़ों छात्र उपरोक्त पाठ्यक्रमों में एडमिशन पैसे के अभाव में नहीं ले पा रहे हैं। जिससे बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़कर अन्यत्र चले जा रहे है जो नये शिक्षा नीति के अनुरुप नहीं है। मेरी सरकार से मांग है कि इनकी शून्य बैलेंस पर उपरोक्त पाठ्यक्रमोें पर एडमिशन लिया जाय।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *