मंगल पांडेय ने उड़ा दी थी अंग्रेजों की नींद: एडीएम

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आजमगढ़। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत शहीद मंगल पांडेय जयंती के अवसर पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन अनिल कुमार मिश्र द्वारा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज से प्रभात फेरी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह प्रभात फेरी जीजीआईसी आजमगढ़ से प्रारम्भ होकर गांधी तिराहा, रैदोपुर चौराहा, सिविल लाइन होते हुए जीजीआईसी आजमगढ़ में समाप्त हुई।
अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने बताया कि प्रभात फेरी के माध्यम से शहीद मंगल पांडेय के बारे में जन-जन को जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि 1857 में मंगल पांडेय के विद्रोह ने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। उसी समय से बलिया को बागी धरती का नाम मिला। उन्होंने बताया कि आज ही के दिन 1831 में उनका जन्म बलिया जिले के नगवां गांव में हुआ था, उनके पिता का नाम सुदिष्ट पांडेय और माता का नाम जानकी देवी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव की पाठशाला में हुई। 1849 में वह ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा से जुड़े। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार उस वक्त अंग्रेजी सेना द्वारा लांच की गई एनफील्ड राइफल पी-53 में जानवरों की चर्बी से बने एक खास तरह के कारतूस का इस्तेमाल होता था, उसे राइफल में डालने से पहले मुंह से छीलना पड़ता था, इस बात की जानकारी होने पर मंगल पांडेय ने आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। 29 मार्च 1857 को जब नया कारतूस पैदल सेना को बांटा जाने लगा तो मंगल पांडेय ने उसे लेने से इनकार कर दिया। इससे नाराज अंग्रजों ने उनके हथियार छीन लेने और वर्दी उतार लेने का हुक्म दिया। उनकी राइफल छीनने को अंग्रेज अफसर हु्रसन आगे बढ़ा, तो मंगल पांडेय ने उसे मार डाला। 6 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई। इस अवसर पर जिला युवा कल्याण अधिकारी राजनेति सिंह, जिला युवा अधिकारी, जिला सूचना अधिकारी अशोक कुमार, प्रधानाचार्य राजकीय बालिका इंटर कॉलेज ललिता देवी एवं जिला विद्यालय निरीक्षक के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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