गांव में पेट्रोल पंप और दुकानों पर खपाते थे नकली नोट, दूसरी खेप लेकर आए थे शातिर

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12 लाख की नकली नोटों के साथ तीन शातिर अरेस्ट, यहां खपाने थे रुपये

अभियुक्तों के हैं आपराधिक रिकॉर्ड

वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। जिला पुलिस की संयुक्त टीम ने शुक्रवार की सुबह सटीक सूचना मिलने पर बलुआ थानाक्षेत्र के चहनिया-माधोपुर मार्ग से धानापुर जाते समय दो बाइकों पर सवार तीन अपराधियों को धर दबोचा। तलाशी में इनके पास से एक बड़े झोले में रखे 11 लाख 82 हजार 630 रुपये के जाली नोट बरामद हुए।गिरफ्त में अपराधियों में गोपाल पांडेय 2014 में बिहार से सटे सैयदराजा थानाक्षेत्र में हत्या के प्रयास में जेल भेजा गया था। गोपाल के अनुसार जेल में उसकी कुछ मुलाकात शातिर अपराधियों से हुई थी जो नकली नोट के धंधे में पकड़ाए थे। उन्हीं की संगत में रहकर जल्द से जल्द अमीर बनने की चाह में उसने भी नकली नोट छापने के धंधे में आकर गिरफ्तार हो गया। इस धंधे में उसने अपने छोटे भाई को भाई शामिल कर लिया था।

पटना से खरीदा था कागज

गिरफ्त में आए अपराधियों के अनुसार उन्होंने नकली नोट छापने के लिए असली नोट के कागज पटना (बिहार) के एक दुकान से खरीदा था। यह कागज असली नोट के कागज से बहुत कुछ मिलता जुलता दिखता है। नोट का कागज खरीदने के लिए इन्होंने कई दुकानों की खाक छानी थी। अपराधियों के अनुसार सबसे पहले नोट हाथ में आते ही उसके कागज से ही लोगों को शक हो जाता है कि यह नकली है। इसलिए उन्होंने असली नोट से ही मिलता जुलता कागज खरीदा था।

दूसरी बार पहुंचाने आए थे नोट

नकली नोटों के सौदागर गिरोह का मास्टर माइंड व सरगना पटना का निवासी है। पूछताछ में इन अपराधियों ने खुलासा किया कि मास्टर माइंड के ही कहने पर वे चंदौली में नोटों की खेप दूसरी बार पहुंचाने आए थे। सूत्रों के अनुसार नकली नोटों की पहली खेप बलुआ थाना के एक हिस्ट्रीशीटर को इन्होंने सौंपी थीं। नकली नोट देहात की दुकानों समेत पेट्रोल पंपों पर खपाए गए थे। पहली खेप में ये कितने नोट लेकर आए थे यह जानकारी अपराधियों को नहीं थी। पुलिस इनसे पूछताछ के आधार पर गिरोह के मास्टर माइंड व सरगना की गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी है।

नोटों पर उतारते थे कॉपी

पूछताछ में इन नोटों के सौदागरों ने खुलासा किया कि प्रिंटर मशीन से नोटों की कापी करने के बाद उसे असली बनाने के क्रम में वह विशेष रूप से बने नीली-हरी पट्टी का टेप उसपर चिपकाते थे। साथ ही महात्मा गांधी के चेहरे का बने (सांचा) डाई से प्रेस कर उसका अक्स नोटों पर उतार देते थे। इससे कोई जांचने के लिए जब उजाले में इन नोटों को देखता तो उसे नोट के बीच में चमकीला नीला-हरा पट्टी समेत गांधी जी के चेहरे का पूरा अक्स असली नोटों की तरह दिखता है।

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