जिले में प्रतिवर्ष होती है 169 मातृ मृत्यु: राजदेव

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अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान एवं कॉमन हेल्थ के संयुक्त तत्वावधान में संस्थान द्वारा संचालित ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अतरौलिया के प्रांगण में नारी संघ की महिलाओं, आशा एवं आशा संगिनी के साथ अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भसमापन दिवस की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि डा.शिवाजी सिंह, बीसीपीएम सुरेश पांडेय आई हेट के प्रतिनिधि अतुल उपस्थित रहे।
राजदेव चतुर्वेदी ने बताया कि 28 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भसमापन दिवस के रूप में मनाया जाता है। यदि बच्चा पैदा होने के 42 दिन के अंदर किसी महिला की मृत्यु होती है तो उस स्थिति में हम मातृ मृत्यु कहेंगे। हमारे जिले में 169 मौत प्रति वर्ष होती है, यह मातृ मृत्यु सुरक्षित/असुरक्षित या किसी अन्य कारण से होता है, इसे रोका जा सकता है। जिले में होने वाले 8 प्रतिशत मौत को हम रोक सकते हैं। अनचाहे गर्भ रुकने की वजह से मौतें ज्यादा होती हैं। आई हेड के अतुल ने बताया कि अनचाहे गर्भ के लिए 5 ऐसी सामग्री हैं, जो हमारी आशा बहनों के पास होनी चाहिए। बीसीपीएम सुरेश पांडेय द्वारा बताया गया कि यदि हम अपने परिवार के बारे में सोचे तो ऐसा नहीं होगा यदि हम प्लान नहीं करेंगे तो समस्या को झेलना पड़ता है।
नेशनल हेल्थ मिशन की तरफ से जननी सुरक्षा योजना एवं प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना जैसी सेवाएं है। महिला को संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करती है और उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए आशा दीदी को मेहनत करनी होगी। इस बात का ध्यान रखना होगा कि अनचाहा गर्भ न हो।
रिपोर्ट-आशीष निषाद

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